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एक बार सरकारी नौकरी मिल गई तो पूरी जिंदगी का बीमा हो गया। अगर आप अब भी ऐसा सोचते हैं तो अपनी सोच बदल दीजिए। केंद्र सरकार अब ऐसा सिस्टम शुरू करने जा रही है, जिसमें कामचोर और ठीक से काम न करने वाले कर्मचारियों को नौकरी से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकेगा।

अभी बड़े अफसरों पर फोकस
  • सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग ने एक नोटिस जारी किया है, जिसके मुताबिक अब बड़े अफसरों की परफॉर्मेंस रिव्यू हुआ करेगी।
  • 35 साल की नौकरी या 50 साल उम्र के बाद अफसरों की समीक्षा होगी। अगर उनके काम में कमी पाई गई तो प्रमोशन नहीं मिलेगी।
  • अगर काम औसत से भी खराब पाया गया तो नौकरी से बाहर भी निकाला जा सकेगा।
  • इसके लिए प्राइवेट कंपनियों की तर्ज पर हर साल एनुअल परफॉर्मेंस अप्रेजल होगा।
  • इस टेस्ट में पास न होने पर कंपल्सरी रिटायरमेंट दिया जा सकेगा। इसके लिए सरकार सिर्फ 3 महीने का नोटिस देगी।
  • कंपल्सरी रिटायरमेंट वॉलेंटरी रिटायरमेंट से अलग होता है।
  • 14 सितंबर को जारी हुआ ये नोटिस सभी मंत्रालयों को भेजा गया है।
कानून में है नौकरी से निकालने का इंतजाम
दरअसल कामचोर सरकारी अफसरों को नौकरी से निकालने का पहले से कानून में इंतजाम है। इसके लिए  मूल नियम FR 56 (J) को लागू माना जाएगा। इस कानून के तहत सरकार ए और बी ग्रेड के अधिकारियों को उनके प्रदर्शन के आधार पर निकाल सकती है। नियमों के तहत सी ग्रेड के कर्मचारी को भी 55 साल की उम्र के बाद निकाला जा सकता है, लेकिन इसके लिए भ्रष्टाचार या खराब काम का आधार ही दिया जा सकता है।
थोड़ी लंबी होगी नौकरी से निकालने की प्रक्रिया
ए ग्रेड में आईएएस, आईपीएस जैसी सिविल सर्विसेज के अधिकारी आते हैं। बी ग्रेड में नॉन गैजटेड अफसर होते हैं। जबकि सी-ग्रेड में क्लर्क और सहायक पदों वाले कर्मचारी होते हैं। हालांकि नौकरी से निकालने से पहले जरूरी है कि ऐसे कर्मचारियों की सालाना वेतन बढ़ोतरी कुछ साल पहले ही रोकी जा चुकी हो और उन्हें 5 साल से कोई प्रमोशन न मिली हो।
नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद से सरकारी कर्मचारियों के लिए काम के घंटे पक्के कर दिए गए हैं। इसके तहत अब हर कर्मचारी और अफसर के लिए सुबह 9 बजे से शाम 5.30 बजे तक दफ्तर में रहना जरूरी है। अभी मंत्रालयों के दफ्तरों में इस आदेश पर सख्ती से अमल भी हो रहा है। सरकार का इरादा इसे आधार नंबर से लिंक करके पूरे देश में लागू करने का है।




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